
काठमांडू।
अप्रत्याशित रूप से नेपाल में मध्यावधि चुनाव घोषित होने के साथ ही काठमांडू महानगरपालिका के मेयर बालेन्द्र साह (बालेन) पर नया राजनीतिक दल गठन करने का दबाव बढ़ गया है। निकट सूत्रों के अनुसार, यद्यपि उन्होंने औपचारिक घोषणा अभी तक नहीं की है, किंतु चुनाव में अपनी पार्टी बनाकर उतरना लगभग निश्चित माना जा रहा है।
नियत समयानुसार आम चुनाव वर्ष 2084 में होने थे, इसलिए बालेन को कोई जल्दबाज़ी नहीं थी। उनकी योजना थी कि चुनाव से लगभग छह माह पूर्व दल की घोषणा कर व्यापक रूप से चुनाव अभियान प्रारम्भ किया जाए। किन्तु अचानक घटित घटनाक्रम के चलते अब इसी वर्ष संघीय संसद का चुनाव होना तय हुआ है। सरकार पहले ही आगामी फाल्गुन 21 (2026 March 5) को आम चुनाव की घोषणा कर चुकी है, जिससे बालेन के पास तैयारी के लिए समय सीमित रह गया है।
दल खोलने की मंशा पर सभी सहमत हैं, किंतु घोषणा कब की जाए इस प्रश्न पर उनकी टीम के भीतर मतभेद बना हुआ है। कुछ लोग तत्काल घोषणा के पक्षधर हैं, जबकि उनके कुछ सहयोगी वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए कुछ समय प्रतीक्षा करने को उचित मानते हैं।
जेन-जेड आंदोलन और बालेन की स्थिति
जेन-जेड आंदोलन के पश्चात बालेन की राजनीतिक स्थिति और अधिक सुदृढ़ हुई है। पूर्व में ओली नेतृत्व वाली केन्द्रीय सरकार से सामंजस्य न होने के कारण उन्हें महानगरपालिका में कार्य निष्पादन में कठिनाइयाँ झेलनी पड़ी थीं । किन्तु वर्तमान में प्रधानमंत्री सुशीला कार्की और गृहमंत्री ओमप्रकाश अर्याल उनके निकट माने जाते हैं, जिससे उनकी राजनीतिक शक्ति और प्रभाव बढ़ा है।
जेन-जेड युवाओं ने उन्हें प्रधानमंत्री पद पर देखना चाहा था, परंतु उन्होंने अंतरिम सरकार का नेतृत्व करने से इनकार कर दिया। उनका तर्क था कि इस सरकार की क्षमता सीमित है जबकि जनअपेक्षाएँ असीमित। ऐसे में नेतृत्व ग्रहण करना लोकप्रियता में ह्रास का कारण बन सकता था।
भविष्य की रणनीति
बालेन का अगला लक्ष्य संसदीय चुनाव है। वे नया दल बनाकर देशव्यापी प्रत्याशी उतारने की योजना बना रहे हैं। वे प्रत्यक्ष निर्वाचित कार्यकारी प्रधानमंत्री प्रणाली के भी प्रबल समर्थक हैं, जिसके लिए संविधान संशोधन आवश्यक होगा।
उनकी पार्टी में कौन-कौन जुड़ सकते हैं, इस पर भी चर्चाएँ हो रही हैं। हर्क सम्पाङ के साथ सहकार्य की संभावना नगण्य मानी जा रही है, जबकि हाल ही में राष्ट्रिय स्वतन्त्र पार्टी (रास्वपा) छोड़ चुकीं सुमना श्रेष्ठ बालेन से जुड़ सकती हैं, ऐसी अटकलें राजनीतिक हलकों में ज़ोर पकड़ रही हैं।
यदि बालेन ने नया दल बनाया तो इसका सर्वाधिक प्रभाव रास्वपा पर पड़ सकता है। विश्लेषकों का मत है कि बालेन और रवि लामिछाने का मतदाता आधार लगभग समान है। अतः बालेन की पार्टी बनने पर रास्वपा में भारी टूट संभव है। यद्यपि वर्तमान में बालेन और रवि के संबंध सामान्य माने जाते हैं, फिर भी चुनाव समीप आते-आते दोनों के बीच सहकार्य की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। यदि ऐसा हुआ तो बड़े दलों के लिए यह एक बड़ी चुनौती सिद्ध हो सकती है।